Monthly Archives: October, 2022
भगवान विष्णु के अनन्य भक्त आचार्य श्री रंगनाथमुनि
नाथमुनि स्वामीजी के प्रयास से प्राप्त इन दिव्य प्रबंधों, के कारण ही आज श्री वैष्णव साम्प्रदाय का ऐश्वर्य हमें प्राप्त हुआ हैं । इनके बिना यह प्राप्त होना दुर्लभ था । आल्वन्दार स्वामीजी , नाथमुनि स्वामीजी के पौत्र अपने स्तोत्र रत्न में नाथमुनि की प्रशंसा शुरुआत के तीन श्लोकों मे करते हैं ।
‘आर्यसमाज का एक शताब्दी पूर्व दिल्ली में दलितोद्धार का अपूर्व ऐतिहासिक कार्य’
महाभारत युद्ध के समाप्त होने के बाद देश निरन्तर पतन की ओर अग्रसर होता रहा जिस कारण नाना प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक अन्धविश्वास एवं कुरीतियां प्रचलित हुईं।
जबलपुर का दुर्गोत्सव, जिसने हर पीढ़ी को संस्कारों की विरासत सौंपी
प्रशांत पोळ - 0
जबलपुर का दुर्गोत्सव यह अपने आप मे अनुठा हैं. *पूरे देश मे रामलीला, दुर्गोत्सव और दशहरा जुलूस का अद्भुत और भव्य संगम शायद अकेले जबलपुर मे होता हैं.
बाल विवाह को ‘शून्य’ घोषित करने का कानून स्वागतयोग्य, लेकिन कानून का कड़ाई से पालन जरूरी
पिछले दिनों भले ही हरियाणा सरकार ने बाल विवाह को ‘शून्य’ घोषित करने का कानून बनाया है, लेकिन भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना के अनुसार बाल विवाह के मामले में राज्य का देश में 15वां स्थान है।
संचार-क्रांति, सूचना-प्रौद्योगिकी और नवाचार की भाषा के रूप में हिंदी रच रही नए आयाम
बतौर मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर सत्यपाल शर्मा ने कहा कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी ने संपर्क भाषा और राष्ट्रभाषा के रूप में राष्ट्रीय एकता की निर्मिति में ऐतिहासिक योगदान दियाI
तैमूर के पापा ऐसे रावण बने हैं आदिपुरुष में
दक्षिण भारतीय अभिनेता से पैन इंडिया स्टार बन चुके प्रभास (Prabhas), सैफ अली खान (Saif Ali Khan) और कृति सेनन (Kriti Sanon) स्टारर ‘आदिपुरुष’ फिल्म का टीजर 2 अक्टूबर, 2022 को रिलीज हो चुका है।
चित्रनगरी संवाद मंच में गांधी और शास्त्री पर एक सार्थक विमर्श
मुंबई।रविवार 2 अक्टूबर को चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई में गांधी जयंती और शास्त्री जयंती मनाई गई। केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट, गोरेगांव में आयोजित इस कार्यक्रम में महात्मा गांधी पर दो नाटक लिखने वाले प्रतिष्ठित कथाकार असग़र वजाहत का एक लेख 'गांधी जो नहीं कर सके' देवमणि पाण्डेय ने प्रस्तुत किया गया।
आदिवासी समाज और ईसाइयत
1857 में प्रथम संघर्ष के असफल होने के पश्चात हज़ारों कारण हज़ारों क्रांतिकारियों ने जंगलों को अपना घर बनाया और छापे-मार युद्ध के माध्यम से अंग्रेजों और उनके खुशामदियों को बेचैन करने लगे।
ज़िन्दगी की सांझ में बुज़ुर्गों का सहारा बनें
बेटियां शादी के बाद अपनी ससुराल चली जाती हैं और बेटे नौकरी की तलाश में बड़े शहरों में चले जाते हैं या अपनी पत्नी के साथ अलग घर बसा लेते हैं। जो बेटे मां-बाप के साथ रहते हैं, वह भी उन्हें नज़र अंदाज़ कर अपने बीवी और बच्चों में मस्त रहते हैं।
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान भुवनेश्वर में हिन्दी पखवाड़ा संपन्न
अपने संबोधन में अशोक पाण्डेय ने बताया कि यह संस्थान राजभाषा हिन्दी को बढ़ावा देने के क्रम में हिन्दी तथा अहिन्दी समूह की कुल 14 स्पर्धाओं को पखवाड़े के दौरान आयोजित किया।