Saturday, April 27, 2024
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कला, साहित्य और संस्कृति को आत्मसात कर जीवंत करती शख्शियत डॉ प्रभात कुमार सिंघल

जितेंद्र ‘निर्मोही’, साहित्यकार,कोटा

प्रस्तुतियों के विभिन्न ढंग है। लेखन कला में विभिन्न विधाएं उनके अपने परिवेश है। तदानुसार प्रस्तुतिकरन भी किया जाता है। जब कोई कलाकार किसी कला को आत्मसात कर लेता है तो वो उसकी प्रस्तुति को जीवन्त बना देता है। कवि कविताओं, गजलों, गीतों के माध्यम से, चित्रकार चित्रों के द्वारा, कलाकार अपनी प्रतुति से, साहित्यकार और लेखक कहानी, कथा ,लेखों और किताबों के माध्यम से परिवेश और यथार्थ को जीवंत बनाता है।

ऐसे ही एक लेखक हैं कोटा निवासी डॉ प्रभात कुमार सिंघल जो कला, संस्कृति और पर्यटन को आत्मसात कर अपनी लेखनी द्वारा प्रकाश में लाते हैं। इनके लेखन का फलक इतना विशाल है कि आज ये राष्ट्रीय स्तर के लेखकों में गिने जाने लगे हैं। पहले हाड़ौती अंचल है, फिर अपना प्रदेश और फिर अन्य प्रदेश। इस तरह यह समस्त भारतीय संस्कृति की सेवा में लगे हैं। आजकल ये साहित्यकारों और कलाकारों प्रस्तुति में लगे हुए हैं, उनका यह अनूठा है। देश की संस्कृति और साहित्य में उनका यह स्तुत्य योगदान भविष्य में स्वर्णिम पृष्ठों में अंकित होगा इसमें तनिक संदेह नहीं है। पिछले दिनों साहित्य मंडल नाथद्वारा से इन्हें “साहित्य विभूषण” सम्मान से सम्मानित किया जाना हाड़ोती का ही नहीं देश का गौरव है।

जिस व्यापक स्तर पर पर इन्होंने लिखा है वह गहन अध्यन और शोध कार्य बिना संभव नहीं है। उनका अनुसंधानकर्ता रुप और गवेषणात्मक दृष्टि देखते ही बनती है,जो उनके आलेखों में स्पस्ट दिखाई देती है। उनकी यही वृति, चिंतन, अथक और निरंतर प्रयास और उपलब्धियां ही इस लेखक को अलग खड़ा करती हैं। बचपन से दर्शनीय स्थलों को देखने की रुचि, अध्ययन और अनुसंधान की वृति, फोटोग्राफी का शोक ही ऐसी वजह हैं की इन्होंने पिछले 40 वर्षो में देश की कला, संस्कृति और पर्यटन को देश में ही नहीं दुनिया में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण योगदान किया है।

यह बताते हैं कि इन्होंने भारत के अधिकांश राज्यों का भ्रमण कर निकट से राज्यों के इतिहास, भूगोल, नदियां, पहाड़, समुद्र, रेगिस्तान, वन्य-जीवन, कला, संस्कृति, परंपराएं, उत्सव-मेले और पर्यटन स्थल आदि को देखा, समझा, अध्ययन किया।

अनुसंधान वृत्ति होने से इन्होंने “राजपुताने में पुलिस प्रशासन 1857- 1947” विषय पर शोध प्रबंध लिख कर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। खोजी वृत्ति को शोध प्रबंध लिखने तक ही सीमित नहीं रखा वरन जारी रखते हुए निजी स्तर पर अपने सेवा काल के दौरान और पश्चात कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, श्रीगंगानगर जिलों, उदयपुर और अजमेर संभागों के इतिहास, कला-संस्कृति और पर्यटन पर शोध कार्य किया। हाड़ोती पुरातत्व, चंबल नदी,हाड़ौती के स्वतंत्रता सेनानी, हाड़ौती, राजस्थान और भारत के सांस्कृतिक पक्ष,भारत में समुद्र तटीय पर्यटन, विश्व रेगिस्तान पर्यटन, भारत के संग्रहालय, एडवेंचर टूरिज्म, भारत के धर्म स्थल, पर्वतीय पर्यटन, राजस्थान के आस्था स्थल, उद्यानिकी तथा राजस्थान में पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास के संबंध में भी गहन अध्ययन कर शोध किया।

विभिन्न एतिहासिक और सामाजिक विषयों पर लेखन करते हुए कला-संस्कृति और पर्यटन विषय इनके लेखन का केंद्र बिंदु रहा है। इस से संबंधित आपके आलेख, रिपोर्ताज,यात्रा वृत्तांत, फीचर, संपादकीय, स्तंभ आदि सत्तर के दशक से वर्तमान समय तक निरंतर देश -दुनिया के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित हो रहे हैं। देश के बाहर अन्य देशों में जाने वाली पत्रिकाओं सरिता, मुक्ता, कादम्बिनी, हिंदुस्तान साप्ताहिक, धर्मयुग, दिनमान में लंबे समय तक प्रकाशित हुए हैं। साथ ही देश के दैनिक राष्ट्रीय समाचार पत्र हिंदुस्तान, नवभारत, जनसत्ता, जागरण, राजस्थान पत्रिका आदि में प्रमुखता से प्रकाशित होते रहे हैं। आपकी विश्लेषणात्मक दृष्टि और लेखन की वजह से ही आप दिल्ली प्रेस प्रकाशन और अमर उजाला प्रकाशन और राष्ट्रीय हिंदी समाचार पोर्टल prabhashakshi.com नई दिल्ली और pressnote.com उदयपुर सहित विभिन्न समाचार पत्रों के स्थाई लेखकों की सूची में शामिल हैं। यू.एस.ए. से प्रकाशित साप्ताहिक समाचार पत्रिका “हम हिंदुस्तानी” में लंबे समय तक भारतीय पर्यटन पर लिखा। कानपुर के एक पब्लिशर्स माध्यम से पर्यटन पर प्रकाशित आपकी दो दर्जन पुस्तकें विश्व के 170 देशों में पहचान बनी हैं।

इन्होंने अब तक कुल 43 पुस्तकों का लेखन और संपादन किया है। इनमें से 25 पुस्तकें कला, संस्कृति और पर्यटन विषय से संबंधित हैं, जिनमें दो पुस्तकें अंग्रजी भाषा में भी लिखी हैं। इसके साथ ही आपने 14 अन्य पुस्तकों सहित करीब एक सो से अधिक स्मारिकाओं का संपादन कार्य भी किया है।विभिन्न विषयों पर आपके अनगिनत आलेख, फीचर,रिपोर्ताज,संपादकीय, यात्रा वृतांत, स्तम्भ देश के अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय,राज्य और जिला स्तरीय समाचार पत्रों, राष्ट्रीय पत्रिकाओं, केंद्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न विभागीय पत्रिकाओं एवं राष्ट्रीय हिंदी समाचार पोर्टल्स पर प्रकाशित हुए हैं। बड़ी संख्या में आलेख गूगल पर उपलब्ध हैं।

इनकी अब तक प्रकाशित पुस्तकों में कोटा एक विहंगम दृष्टि (अप्रैल 2003), हाड़ौती-करोली दिग्दर्शन (अप्रैल 2004), नव साक्षरों के लिए जय चंबल, लोक देवता तेजाजी एवम हाड़ौती के मन्दिर ( मई 2006), आराध्य तीर्थ (मई 2017), राजस्थान के आस्था स्थल-धार्मिक पर्यटन (अप्रैल 2018), ऐसा देश है मेरा – भारत भ्रमण (अगस्त 2018), कोटा एक विहंगम दृष्टि-द्वितीय संस्करण (फरवरी 2019), अतुल्य अजमेर-विश्व स्तरीय पहचान (अप्रैल 2019), चंबल तेरी यही कहानी (मई 2020 ), मीडिया संसार-पत्रकारिता और जन संचार (जून 2020) हैं। इनके साथ ही ये है हमारी रंग बिरंगी बूंदी (अगस्त 2020) भारत की विश्व विरासत-यूनेस्को की सूची में शामिल (फरवरी 2021), हमारा भारत, हमारी शान (मार्च 2021), अद्भुत राजस्थान (अप्रैल 2021) , उदयपुर राजस्थान का कश्मीर (अंग्रेजी में मई 2021) भारत में समुद्र तटीय पर्यटन (जून 2021), विश्व रेगिस्तान का इंद्रधनुष (जुलाई 2021), पर्यटन और संग्रहालय (अगस्त 2021),पर्वतीय पर्यटन-विशेष सन्दर्भ अरावली (अक्टूबर 2021), रोमांचक साहसिक पर्यटन (नवंबर
2021) मन्दिर संस्कृति-धार्मिक पर्यटन (जनवरी 2022), वर्ल्ड हेरिटेज ग्लोबल टू लोकल (मार्च 2022), भारतीय पर्यटन में इस्लामिक आर्किटेक्चर (मई 2022), पर्यटन को सुगम बनाती भारतीय रेल(अगस्त 2022) भारतीय स्थापत्य की अमूल्य निधि जैन मंदिर (अगस्त 2022) एवम राजस्थान-हाड़ोती की पुरा संपदा एक अध्यन (अक्टूबर 2022 ) और दिसंबर 23 में प्रकाशित “अलबेले उत्सव और मेले” शामिल हैं।

आपने ऑन लाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजन भी किए। रोमांचक साहसिक पर्यटन पुस्तक , हमारे जीवन के समृद्ध अतीत की याद दिलाने में संग्रहालयों की अहम भूमिका, राजस्थान दिवस 30 मार्च 2022 पर “राजस्थान में पर्यटन की दशा, दिशा और संभावनाएं” और विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल 2022 पर “इंटरनेट की आंधी में बरकरार है पुस्तकों का महत्व” विषयों पर राष्ट्रीय संगोष्ठीयों का आयोजन किया गया।

इनके लेखन कार्य को सरकार और समाज दोनों से ही सराहना मिली। कोटा जिला प्रशासन ने इन्हें उत्कृष्ठ सेवाओं और लेखन के लिए सहायक जनसंपर्क अधिकारी, जनसंपर्क अधिकारी और सहायक निदेशक पदों पर राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मानित किया गया। पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त करने पर कोटा जिला आफिसर्स क्लब द्वारा 4 फरवरी 1996 को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नति होने पर सूचना केंद्र, उदयपुर में 25 दिसम्बर 2012 को पत्रकारों और गणमान्य नागरिकों द्वारा सम्मानित किया गया।

कोटा पत्रकार मित्र मंडल द्वारा कोटा में संयुक्त निदेशक पद पर ज्वॉयन करने पर 29 अप्रैल 2013 को सार्वजनिक रूप से सम्मान किया गया। कोटा राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय द्वारा हिन्दी दिवस-2018 पर “प्रशस्ति पत्र एवं मेडल प्रदान कर” हिंदी साहित्य सेवा” सम्मान, वरिष्ठ नागरिक जनदिवस-2018 पर प्रशस्ति पत्र एवं मेडल प्रदान कर “वरिष्ठजन पर्यटक लेखक सम्मान” और अंतरराष्ट्रीय वृद्ध जनदिवस-2019 पर “व्योश्री सम्मान – 2019” से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय हिन्दी समाचार पोर्टल प्रभा साक्षी, नई दिल्ली की 18 वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में आयोजित समारोह में 8 नवंबर 2019 को शाल ओढ़ा कर प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर “हिंदी सेवा सम्मान” से सम्मानित किया गया। पर्यटन के क्षेत्र में कई पुस्तकें लिखने और हाड़ौती क्षेत्र का राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट कार्य करने पर कोटा की संस्था न्यू इंटरनेशनल द्वारा 6 जनवरी 2021 को “हाड़ौती गौरव सम्मान” से सम्मानित किया गया। वर्किंग जर्नलिस्ट फेडरेशन ऑफ इंडिया की कोटा इकाई द्वारा 5 दिसम्बर 2021 को उत्कृष्ट लेखन एवं पत्रकारिता में योगदान के लिए “पत्रकार सम्मान” से सम्मानित किया गया। राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय द्वारा राजस्थान दिवस पर आयोजित “हमारा रंग बिरंगा राजस्थान” ऑन लाइन राष्ट्रीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में संयोजक की सफल भूमिका के लिए 23 अप्रैल 2022 को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। श्री राजाराम कर्मयोगी सेवा संस्थान कोटा द्वारा साहित्यकार और लेखक के रूप में राजा राम मोहन राय जयंती पर 22 मई 2022 को कोटा में आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में ” शान-ए-राजस्थान राजा राम कर्मयोगी साहित्य गौरव सम्मान-2022″ से मोतियों का कंठहार पहना कर, शाल ओढाकर एवं सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया.

ऑल इंडिया पीस मिशन, गुरुग्राम द्वारा विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर 2022 को पर्यटन लेखन से सद्भावना और भाईचारा बढ़ाबढ़ाने में योगदान के लिए कोटा में आयोजित कार्यक्रम में ” राष्ट्रीय सामाजिक समरसता सम्मान” से शाल ओढ़ा कर, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर 22 को कोटा में आयोजित डिट्रिक्ट मीट कार्यक्रम में रोटरी क्लब नॉर्थ द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जागरुकता हेतु प्रचार – प्रसार के लिए प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान कर” राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सम्मान -22″ से सम्मानित किया गया। धनतेरस 23 अक्टूबर 2022 को हिंदी साहित्य समिति, बूंदी द्वारा पर्यटन लेखक के रूप में शाल ओढ़ा कर, सम्मान पत्र प्रदान कर “हिंदी साहित्य रत्न और समाज रत्न अलंकरण ” से सम्मानित किया गया।

कला, संस्कृति एवं पर्यटन क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार – प्रसार के लिए 13 दिसंबर 2022 को “कर्मयोगी इंटरनेशनल प्राइड अवार्ड-22” से कोटा में सम्मानित किया गया। इन्हें और भी कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है।

डॉ. सिंघल को मिले सम्मान बताते हैं कि इन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी कलम चलाई हैं। इनका जन्म 15 अक्टूबर 1953 को पुलिस अधिकारी स्व.चमन लाल और माता स्व. सुमन लता के आंगन में हुआ। आपने इतिहास में स्नातकोत्तर, पत्रकारिता में एम.जे. एम.सी. की डिग्री और इतिहास में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।

आपने मार्च 1979 में सहायक जन संपर्क अधिकारी के पद पर राजस्थान के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सेवा शुरू कर 31 अक्टूबर 2013 को संयुक्त निदेशक पद से सेवा निवृत हुए। सेवा निवृत्ति के पश्चात आपने ढाई वर्ष तक पाक्षिक समाचार पत्र “टुडे आई” का प्रकाशन किया। वर्तमान में आप लेखन और पत्रकारिता में सक्रिय हैं। इनकी खास बात यह भी है कि जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कोटा में सभी को साथ लेकर बिना भेदभाव के कार्य करने की शैली और अपने निस्वार्थ प्रगाढ़ संबंधों की वजह से इतने लोकप्रिय हो गए की आज तक भी इन्हें पीआरओ साहब कह कर बुलाया जाता है। इसी रूप में इनकी पहचान कायम हो गई है। सरल, निर्मल और सहज स्वभाव के धनी डॉ.सिंघल आज भी हर दिल अज़ीज़ बने हुए हैं। हाल ही में इनकी संस्मरण कृति नई बात निकल कर आती है प्रकाशित हुई है और भारत के इतिहास, संस्कृति और पर्यटन पर क्षेत्रीय आधार पर उत्तर भारत, दक्षिण भारत, पश्चिमी भारत,पूर्वी भारत, मध्य भारत और पूर्वोत्तर भारत 6 खंडों में पुस्तक प्रकाशनाधीन है।

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