Sunday, April 28, 2024
spot_img
Homeदुनिया मेरे आगेदुबई में डोसा बीकानेरवाले का

दुबई में डोसा बीकानेरवाले का

दुबई में भारतीय रेस्तरां बहुत हैं जिन में ‘बीकानेरवाला’ काफी लोकप्रिय है। यहाँ डोसा, इडली, वडा आदि सब मिलते हैं। और भी कई तरह के खाद्य-पदार्थ मिलते हैं। डोसा दक्षिण भारतीय व्यंजन (recipe) है जो न केवल भारत में अपितु पूरे विश्व में मशहूर है। यह व्यंजन इनता लोकप्रिय है कि साउथ-इंडियन रेस्टोरेंटस में तो यह मिलता ही है, नार्थ-इंडियन भोजनालयों में भी यह उपलब्ध होता है।

माना जाता है कि डोसा बनाने की शुरुआत उडुपी (कर्नाटक) में हुई है। कुछ जानकार इसे तमिलनाडु की देन मानते हैं। कुछ भी हो डोसा मूलतः साउथ की ही देन है, यह बात संदेह से परे है।डोसा चावल और उरड की दाल के समुचित मिश्रण या घोल से बनता है। आजकल यह घोल बाज़ार में बना-बनाया मिल जाता है जिसे बैटर कहते हैं। इसे बनाने के लिए एक ख़ास किस्म का तवा इस्तेमाल करना पड़ता है।डोसा के अंदर अगर आलू,प्याज,आदि या दूसरी कोई खाद्य-सामग्री भरी जाय तो वह ‘मसाला-डोसा’ कहलाता है। कुछ भी न भरने पर प्लेन डोसा कहलाता है।इसे आम तौर पर सांभर के साथ खाया जाता है। सांभर अरहर की दाल से बनने वाला एक तरल व्यंजन है जिस में सब्जियां भी डाली जाती हैं। सांभर को डोसा,इडली,उत्तपम आदि के साथ परोसा जाता है।

आजादी के बाद, दक्षिण भारतीय भोजन धीरे-धीरे उत्तर में लोकप्रिय होते गए। दिल्ली में कनॉट प्लेस का मद्रास होटल इस मामले में मील का पत्थर सिद्ध हुआ। यह भारत की राजधानी दिल्ली में दक्षिण भारतीय व्यंजनों की सेवा करने वाला पहला रेस्तरां था। इसी तरह 1930 के आस-पास उड्डपी के रेस्तरां मुंबई पहुंचे और मुम्बई में डोसा लोकप्रिय हुआ। धीरे-धीरे अपने स्वाद और चटपटेपन की वजह से डोसा देश के हर छोटे-बड़े शहर में पहुंच गया।

कोविड-काल के समय की एक याद ताज़ा हो रही है। कोविड के संकटकाल में जब होटल-रेस्तरां लगभग बंद-से रहे, बाहर जाने पर तरह-तरह की बंदिशें लगीं, खाने-पीने पर भी संयम-अनुशासन आदि लगा तो ऐसे में डोसा खाने की इच्छा भला कैसे पूरी हो? इस बात पर मन आकुल रहा और ‘डोसा-डोसा’ पुकारता रहा और इसी जाप में समय बीतता चला गया। श्रीमतीजी और बिटिया मेरे मन की बात को ताड़ गए और दोनों ने मिलकर चुनौती स्वीकार कर ली। बिटिया अपर्णा ने कहीं से बैटर/घोल का प्रबंध किया और श्रीमतीजी ने अपनी सुसुप्त पाक-कला को जागृत किया।डोसा-तवा पहले से ही घर में मौजूद था। बहुत दिनों के बाद डोसा खाने में जो आनंद आया उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है।

(लेखक विभिन्न विषयों पर hindimedia.in के लिए लिखते रहते हैं।)

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार