Sunday, May 5, 2024
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क्या अमेरिका का भारत विरोधी गुट भारत में स्टालिन-माओ जैसा शासन लाना चाहता है?

प्रथम महायुद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका इंग्लैंड और फ्रांस ने रूस में स्टालिन और लेनिन का शासन स्थापित करने में सहयोग किया। साथ ही भारत सहित एशिया के बहुत बड़े क्षेत्र पर उसे जबरन कब्जा करने में सहयोग किया जिससे सोवियत संघ बना।

द्वितीय महायुद्ध की समाप्ति के बाद अपने पुराने मित्र च्यांग काई शेक से दगाबाजी करके संयुक्त राज्य अमेरिका इंग्लैंड और फ्रांस ने मुख्य चीन पर माओ त्से तुंग की बर्बर लाल सेना का कब्ज़ा कराया और बाद में उसे और बड़े इलाके में जबरन कब्ज़ा करने में सहयोग किया।

इन दिनों शी जिनपिंग और सोरेस के परम प्रिय राहुल गांधी भारत में भयंकर कम्युनिस्टों की भाषा बोल रहे हैं और संपत्ति के पुन: वितरण की वही मांग कर रहे हैं जिसके द्वारा सोवियत संघ और चीन में लाल सेना के क्रूर और नृशंस लोगों ने किसानों और अन्य निर्दोष नागरिकों की करोड़ों की संख्या में हत्या की और उनकी संपत्ति छीनी और पार्टी के अधिकारियों ने अंतहीन विकृत मानसिकता से घृणित भोग विलास और ऐशो आराम किया ।
राहुल गांधी उसी की तैयारी कर रहे हैं। सफलता असंभव है । परंतु माओ की सफलता भी असंभव थी। संयुक्त राज्य अमेरिका इंग्लैंड और फ्रांस ने सहयोग किया ।

प्रश्न है कि क्या यह तीनों देश या इन तीनों देशों के कुछ गुप्त समूह भारत में भी उसी प्रकार का बर्बर नृशंस और खूनी कम्युनिज्म लाना चाहते हैं क्योंकि राहुल गांधी की संपूर्ण भाषा भयंकर कम्युनिस्ट भाषा है जिसमें संपत्ति के पुनर्वितरण के बहाने लोगों की संपत्ति छीनी जाती है और पार्टी के मुख्य लोग समाज के सभी लोगों पर अत्याचार करते हुए ऐश करते हैं।

पहले दो बार दो बड़े इलाके में अमेरिका इंग्लैंड और फ्रांस कम्युनिज्म ला चुके हैं। उसके द्वारा उन देशों की मूल संस्कृति को नष्ट प्राय करने में सफल हुए हैं।

क्या अब उनमें से किसी का निशाना भारत है?

(लेखक राष्ट्रीय एतिहासिक व अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर शोधपूर्ण लेख लिखते हैं)

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