महू (इंदौर). ‘नई शिक्षा नीति में अच्छे शिक्षकों और संख्या में चयन करना बड़ी चुनौती है.’ यह बात प्रो. राजेन्द्र सिंह यूर्निवसिटी, प्रयागराज के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने कहा. प्रो. सिंह राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा शास्त्र शिक्षकों की भूमिका विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार को संबोधित कर रहे थे. यह आयोजन डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू एवं भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हो गई है लेकिन इसके इम्पलीमेंट में सबसे बड़ी समस्या है. एडहाक टीचरों के भरोसे हम पढ़ा रहे हैं. शिक्षक चयन प्रक्रिया कैसे करेंगे, यह आपके लिए भी चुनौती है. उन्होंंने कहा शिक्षकों को सुविधायें तो उपलब्ध करा दी जाती हैं लेकिन शिक्षकों में गुणवत्ता प्रशिक्षण से ही संभव होगा. शिक्षकों के लिए आवश्यक है कि वे सेल्फ इम्प्रूवमेंट करें. नई शिक्षा नीति को रोजगारपरक बनाया गया है.
उन्होंने स्मरण किया कि हमारे यहां गुरुकुल परम्परा थी जहां स्किल डेवलपमेंट किया जाता था. उन्होंने कहा कि यह शिकायत आधार है कि विद्यार्थी शिक्षक का सम्मान नहीं करते हैं. सच तो यह है कि शिक्षक जितना विद्यार्थियों के प्रति संवेदनशील होंगे, विद्यार्थी उतना ही सम्मान करेगा. प्रो. सिंह ने विस्तार से शिक्षा नीति की चुनौती, संभावना और शिक्षकों के दायित्व पर चर्चा की.
वेबीनार में बीज वक्तव्य में पूर्व प्राचार्य एवं लेखिका प्रो. किशोरीदास ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का विकास क्वालिटी एजुकेशन से ही हो सकता है. उन्होंने कहा कि अनेक कमीशन और विशेषज्ञों से विचार- विमर्श करने के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बनाया गया है. यह पूर्व की शिक्षा नीतियों से न केवल अलग है बल्कि प्रभावी भी है. यह शिक्षा नीति हमें सुपर पॉवर की ओर ले जाती है. शिक्षक एजुकेटर है और शिक्षकों की भूमिका बहुआयामी है. शिक्षक हमेशा से प्रेरणास्रोत रहे हैं.
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर में डिर्पामेंट ऑफ एजुकेशन के विभागाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण शिंदे ने कहा कि मैं टीचर ऑफ एजुकेटर. शिक्षकों के समक्ष बहुत चुनौती है, समस्या है. जिस तरह हम शिक्षक का निर्माण करेंगे, वही एक शिक्षित समाज का विकास कर सकेंगे. उन्होंने कि पुरानी शिक्षा नीति हमें मेकाले शिक्षा से बाहर नहीं ला सकी लेकिन नयी शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जाने की दृष्टि है. शिक्षक को राष्ट्र को सजग करना पड़ेगा, यह शिक्षक की भूमिका है. आईएएसई की डॉ. राजेश्वरी के ने कहा कि शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता होता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका के बारे में कहा कि शिक्षक के ऊपर गुरुत्तर जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन की जरूरत को नयी शिक्षा नीति पूरा करती है.
अमरावती यूर्निवसिटी में विभागाध्यक्ष प्रो. गजानन गुल्हाने ने कहा कि शिक्षक चयन प्रक्रिया के बारे में कहा कि एप्ट्यूट टेस्ट के साथ ही चयन में पारदर्शिता होना चाहिए. साथ ही चयन के बाद प्रशिक्षण की व्यवस्था हो. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में उन्होंने इसकी पृष्ठभूमि की चर्चा की. उन्होंने कहा कि शिक्षा में मातृभाषा, ऑनलाईन शिक्षा के साथ अन्य प्रावधानों की सराहना करते हुए कहा कि अब इसे प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों की भूमिका बढ़ गई है. आरटीएन यूर्निवसिटी नागपुर में विभागाध्यक्ष डॉ. राजश्री वैष्णवी ने कहा कि जब हम शिक्षा की बात करते हैं तो हर भारतीय भारतीयता का गर्व कर सके और यह बात नयी शिक्षा नीति में है. वर्तमान समय में हम क्वालिटी एजुकेशन की समस्या है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों को विषय का गहन ज्ञान हो. शिक्षा में शोध की जरूरत है.
वेबीनार की संचालक हवाबाग कॉलेज, जबलपुर में विभागाध्यक्ष डॉ. हिमानी उपाध्याय ने आरंभ में विषय पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि शिक्षा को स्तरहीन बनाने की कोशिशों की पड़ताल कर सुधार करना है. वेबीनार की अध्यक्ष एवं कुलपति प्रोफेसर आशा शुक्ला ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि हम शिक्षकों पर दो पीढिय़ों के मध्य सेतु का कार्य करना है. उन्होंने शिक्षकों के गुरुत्तर दायित्व का उल्लेख करते हुए अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया. वेबीनार के अंत में डीन डॉ. मनीषा सक्सेना ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।