Friday, April 26, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेये बोतलबंद पानी, पानी नहीं ज़हर है

ये बोतलबंद पानी, पानी नहीं ज़हर है

पढ़े लिखे WHO और मुंबई रिसर्च सेंटर की ये रिपोर्ट पढो ! क्यों कई देश लगा चुके है प्रतिबंध !

राजीव भाई दीक्षित आप लोगों से बार – बार कहते थे कि 200 टीडीएस से कम का पानी मत पीजिये । आजकल कुछ मूर्ख डेंटिस्ट भी इसमें शामिल हैं, बिना जाने समझे अपने पेशेंट को बोल देते हैं कि RO का पानी पीजिये । आपके बच्चों के दांत ख़राब हो रहे हैं फ्लोराइड बढ़ा है । जबकि वास्तव में उन डाक्टरों को पता भी नहीं होता कि आखिर RO करता क्या है ? और हम उन मुर्ख डाक्टरों के चक्कर में पड़कर या अपना स्टेट्स समझकर RO लगा लेते हैं ।

वास्तव में विदेशों में पानी की किल्लत है , लेकिन अब उनकी तकनीक ने हमारे भी जल स्रोतों को दूषित कर दिया है । हम जो वारिश का पानी इकठ्ठा करके पूरा साल पीते थे अपनी चावड़ी या कुएँ के जलस्तर सामान्य करने के लिए गाँवों में गहरे तालाब के पानी को सुरक्षित रखते थे हमने भंडारण तो बंद कर दिया, उसकी जगह पृथ्वी से जल का दोहन शुरू कर दिया ।

R.O. का लगातार सेवन बनेगा मौत का कारण :-

चिलचिलाती गर्मी में कुछ मिले ना मिले पर शरीर को पानी जरूर मिलना चाहिए और अगर पानी RO का हो तो क्या बात है परंतु क्या वास्तव में हम RO को शुद्ध पानी मान सकते हैं, जवाब आता है बिल्कुल नहीं और यह जवाब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से दिया जा चूका है ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय संबंधी विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं , यह कई शोधों के बाद पता चला है कि इसकी वजह से कैल्शियम, मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है॥

राजीव भाई हमेशा सच कहते थे RO पानी की क्वालिटी नहीं मेन्टेन करता है बल्कि आपके जल के भीतर मौजूद मिनिरल को कम कर देता है ।

आपके घर पर जो भी सर्विस इंजिनियर आते हैं , उनसे पूंछिये कि कितने टीडीएस का जल पीना चाहिए तो बोलेंगे 50 टीडीएस का । RO कहाँ लगाना चाहिए तो कहेंगे कि आप लगवाइये हम पड़ोस में लगाकर गए हैं ।

वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 टीडीएस तक सहन करने की छमता रखता है परंतु RO में 18 से 25 टीडीएस तक पानी की शुद्धता होती है जो कि बहुत ही हानिकारक है इसके विकल्प में थोड़ी मात्रा में क्लोरीन को रखा जा सकता है, जिसमें लागत भी कम होती है एवं आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं जिससे मानव शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता।

जहां एक तरफ एशिया और यूरोप के कई देश RO पर प्रतिबंध लगा चुके हैं वहीं भारत में RO की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कई विदेशी कंपनियों ने यहां पर अपना बड़ा बाजार बना लिया ।

मै 20 साल से काम कर रहा हूँ , आजतक RO नहीं लगवाया । कई बोतलों का पानी चेक किया किसी में 20 टीडीएस का पानी नहीं मिला । ईश्वर जाने क्या करेगी यह मूर्खों की जमात जो एक किसी अच्छे रसायन शास्त्री से जानकारी लेने की बजाय 10 वीं पास RO इंजिनियर से सलाह लेकर अपने परिवार का जीवन दाँव पर लगा रहे हैं।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार