Sunday, April 28, 2024
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वैदिक गणित को लोकप्रिय बनाने में जुटे रघुवीर सिंह

वैदिक गणित प्रदर्शनी में जब वैदिक गणिताचार्य रघुवीर सिंह सोलंकी ने बड़े से बड़े सवाल का गणितीय सूत्रों से मिनटों में हल कर उत्तर निकाल दिया तो बुद्धिमान दर्शक भी आवक रह गए और आश्चर्य से इस विधा के कायल हो गए। मैं भी उनके गणित इस जादू से आश्चर्चकित रह गया। कई प्रश्नों को तत्काल हल कर उन्होंने वैदिक गणित का जादुई सम्मोहन उत्पन्न कर दिया। हर एक की जुबान पर गणित का जादू सर चढ़ कर बोल रहा था। एक ने कहा क्या ही अच्छा हो कोटा में कोचिंग के स्टूडेंट्स भी इसे सीखें और जटिल गणित के पेपर को मिनटों में हल कर सही उत्तर प्राप्त कर सकें। उनका समय भी बचेगा और प्रश्नपत्र भी पूरा कर सकेंगे। सोलंकी ने बताया की वे वैदिक गणित को एनसीआरटी पाठ्यक्रम में शामिल कराने का प्रयास कर रहे हैं। इस क्रम में दो बार वे ह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भी पत्र लिख चुके हैं। पहले पत्र का जवाब आया था कि उनका पत्र मानव संसाधन मंत्रालय को भेज दिया हैं। प्रधानमंत्री जी ने मन की बात कार्यक्रम में बच्चों को वैदिक गणित सीखने की बात पर जोर भी दिया है।

अवसर था हाल ही में राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय, कोटा द्वारा पुस्तकालय परिसर में आयोजित पांच दिवसीय संभाग स्तरीय लिट्रेचर फेस्टिवल का जब उन्होंने वैदिक गणित की प्रदर्शनी लगाई और दर्शकों को इसके प्रति आकर्षित किया। उन्होंने पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. दीपक श्रीवास्तव का आभार व्यक्त किया जिन्होंने उनको यह अवसर प्रदान किया।

प्रदर्शनी अवलोकन की रस्म पूरी होने पर मैंने उनसे इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि वैदिक गणित बार-बार दुहरायी जाने वाली मूलभूत संक्रियाओं तथा अंकों के स्वभावको भली-भांति समझकर उन्हें अधिक कुशलता से कम से कम समय में पूरा कर लेने की कला है। वैदिक गणित सोलह सूत्रों एवं तेरह उपसूत्रों पर आधारित विधा है जो पूर्णतया भारतीय विधा है।

वैदिक गणित की विशेषताओं के बारे में उन्होंने बताया कि वैदिक गणित के सूत्र संस्कृत में जरूर हैं परन्तु उनके अर्थ व अनुप्रयोग बहुत ही आसान है। यह सहज, सरल और रूचिकर हैं। अल्प समय में ही बड़ी-बड़ी गणनाओं के मौखिक हल निकल आते है। किसी प्रकार का रफ वर्क करने की भी आवश्यकता नहीं होती। अर्थात् समय व कागज दोनों की बचत होती है। इसे बिना संस्कृत के ज्ञान के भी आसानी से सीखा जा सकता है।

मानसिक गणना करने से बौद्धिक विकास भी तेजी से होता है। इसलिए इसे “मानस गणित” भी कहा जाता है। “बिना आँसू की गणित” के नाम से भी इसे जाना जाता है। त्वरित गणना में वैदिक गणित सर्वश्रेष्ठ टेक्निक है। बच्चा जब किशोर अवस्था से ही वैदिक गणित से तेजी से मौखिक हिसाब-किताब व गणना करने लग जाता है तो अभिभावक कहते हैं कि हमारा बच्चा तो गणित में स्मार्ट हो गया है। फटाफट उत्तर निकलते देख बच्चों को लगता है कि यह गणित है या जादू।

वह बताते हैं आज के कम्प्यूटर युग में जहां हमारे कार्य आसान एवं त्वरित हुए हैं वही गणित में गणना करने के तरीके वही हैं जैसे कच्चे रास्ते पर बैलगाड़ी से सफर करना। वर्तमान में समय का महत्व काफी बढ़ गया है। प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल और असफल होने में अंतर है तो बस तकनीक के साथ फुर्ती का। अधिकांश तौर पर देखा गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न समय के अभाव में छूट जाते है। खासतौर से गणित सेक्शन में जहां जटिल सवालों को कुछ ही पलों में हल करने का टारगेट दिया जाता है।

प्रचालित तरीकों से ही सवालों की गणना करने में काफ़ी समय बर्बाद होता है जिसके कारण पूरे सवाल हल नही कर पाते। अतः प्रतियोगी परीक्षाओं एवं विज्ञान के आंकिक प्रश्नों की गणना में समय की बचत करने व तनावमुक्त रहने के लिए वैदिक गणित सर्वश्रेष्ठ टेक्निक है। बचे समय का उपयोग अन्य विषयों के प्रश्न हल करने में किया जा सकता है। तब प्रतियोगी अच्छी सफलता प्राप्त कर सकता है।

उन्होंने बताया कि वैदिक गणित की परम्परा को सदियों के बाद अन्धकार से निकालकर पुनर्जीवित करने का सम्पूर्ण श्रेय गोवर्धन पीठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी भारतीकृष्ण तीर्थ जी को है। उन्होंने वेदशास्त्रों का गहन अध्ययन किया और उनमें छिपे गूढ़ रहस्यों को ढूंढ निकालने के लिए आठ वर्ष (1911 से 1919 तक) गणित पर शोध कार्य किया था। जिसके परिणामस्वरूप गणना की ऐसी विधियाॅ निकल कर आई जिनसे आसानी से चन्द सेकन्ड़ों में मौखिक गणना हो जाती है। उन्होने गणना की इन विधियों को 16 सूत्रों एवं 13 उपसूत्रों में पिरोया है । स्वामी जी के इन सूत्रों की व्याख्या उनके मरणोपरांत 1965 में वैदिक मैथेमेंस्टिक के नाम से एक पुस्तक प्रकाशित हुई। गणना की इन्ही संक्षिप्त विधियों (शार्टकट ट्रिक्स) को ही आज हम “वैदिक गणित” के नाम से जानते हैं।

सोलंकी ने 16 अक्तूबर 2006 से वैदिक गणित के प्रचार-प्रसार का अभियान शुरू किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की और से राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविध्यालयों एवं बीएड कॉलजों में अब तक 85 से ज्यादा कार्यशालाएं आयोजित कर चुके हैं। बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी की ओर से आयोजित तीन दिवसीय वैदिक गणित कार्यशाला, जयपुर में 2011 से पांच दिवसीय प्रदर्शनी बाल विज्ञान राष्ट्रीय कांग्रेस में भाग ले कर वैदिक गणित का महत्व प्रतिपादित किया है। आपको कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। आपका जन्म 12 जनवरी 1960 को हुआ और गणित विषय में बीएससी की डिग्री प्राप्त की है। शिक्षण कार्य में आपको 42 वर्ष गणित पढ़ने में से 17 साल वैदिक गणित पढ़ने का अनुभव है। वैदिक गणित के प्रचार-प्रसार के लिए आपने नयापुरा कोटा ने वैदिक गणित प्रचार-प्रसार संस्थान, स्थापना की है।

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