Saturday, May 4, 2024
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चौथी औधोगिक क्रांति और भारत

भारत वर्ष के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भारत वर्ष में चौथी औद्योगिक क्रांति (4IR)की आवश्यकता पर जोर दिए है ।भारत 140 करोड़ आबादी वाला देश है ,जिसमें युवाओं की प्रतिशतता सर्वाधिक है ।समाज में हो रहे प्रौद्योगिकी ,उद्योग और समाज में मात्रात्मक और गुणात्मक परिवर्तन के लिए चौथी औद्योगिक क्रांति का होना अति आवश्यक है ।
4 IR समाज में प्रद्योगिकी का नवीन चरण है, जो परस्पर संबंध, स्वचालन, यांत्रिक अधिगम और वास्तविक समय के डाटा पर जोर देता है ।औद्योगिक 4 .0को “साइबर भौतिक प्रणाली ” भी कहा जाता है ।विश्व आर्थिक मंच (आईएमएफ) के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष क्लाउज शबास  ने सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति का प्रयोग किया था ।इसको कृत्रिम बुद्धिमता (AI), रोबोट इंटरनेट आफ थिंग्स, 3D प्रिंटिंग ,जेनेटिक अभियंत्रण, क्वांटम कंप्यूटिंग और अन्य अनेक विशेषताएं हैं ।यह विभिन्न प्रकार के उत्पादों और सेवाओं के पीछे प्रेरक शक्ति है, जो वर्तमान दुनिया में तेजी से आवश्यक हो रही है ।
ये  क्रांतिकारी रूप से संसार में बदलाव कर रहा है। मनुष्य मानवीय मूल्यों को कैसे बनाते हैं ?कैसे विनिमय करते हैं? और कैसे वितरित करते हैं ?
इन सभी विषयों पर विचार/मंथन चौथी औद्योगिक क्रांति का प्रमुख विषय है ।भारत वैश्विक स्तर पर संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र, वैज्ञानिक और अभियंत्रण  के रूप में महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अभिनेता है जो चौथी औद्योगिक क्रांति के मार्ग को पूर्ण कर रहा है। भारत विभिन्न क्षेत्रों में नई प्रौद्योगिकी को शामिल करने में बहुत अधिक प्रगति की  है और कई व्यवस्थाओं में डिजिटलीकरण कर रहा है।
भारत कृत्रिम बुद्धिमता (AI) में तकनीकी विकास और वित्त पोषण के मामले में विकसित देशों में से एक है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा नवीनतम प्रतिवेदन में बताया गया है कि कृत्रिम बुद्धिमता इंडेक्स ,2021 के अनुसार भारत को वैश्विक वाइब्रेंसी रैंकिंग में तीसरे स्थान पर आ गया है,अध्ययन में नीति –  निर्माताओं ,शोधकर्ताओं, अधिकारियों, पत्रकारों और आमजन के लिए निष्पक्ष और वास्तविक डाटा प्रदान करने के लिए समावेशन, विविधता ,कौशल और नैतिकता जैसे कारकों पर विचार किया गया जिससे कृत्रिम बुद्धिमता पर एक आम राय बनाई जा सके।
 दूरसंचार कंपनी एरिक्सन के अनुसार ,भारत वासियों ने 2019 में औसतन प्रतिमाह लगभग 12 जीबी डाटा की खपत किया है,जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक खपत है और यह अगले 10 वर्षों में 8 गुना होने का अनुमान है, जो सस्ती मोबाइल ब्रांड बैंड और वीडियो देखने के प्रतिदर्श को स्थानांतरित करने से प्रेरित है ।विश्व आर्थिक मंच ने नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति आयोग) के माध्यम से भारत सरकार के साथ साझेदारी में भारत में चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए अपना केंद्र शुरू किया था।
केंद्र का उद्देश्य एक भरोसेमंद जगत प्रदान करना है ,जहां स्थानीय और विदेशी नीति निर्माता , कॉरपोरेट नेता ,प्रतियोगी विशेषज्ञ और अन्य महत्वपूर्ण हित धारक वर्तमान तकनीकी उपादेयता के प्रत्यय को साझा कर सकते हैं और चौथी भविष्य को परिभाषित कर सकते हैं ।यह संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जापान के बाद चौथा संस्थान है। इसका मुख्य उद्देश्य नवीन प्रौद्योगिकी का उन्नयन करना, समाज और व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव को सीमित करना और इस तथ्य का विश्वास दिलाना कि है कि प्रत्येक किसी के पास इन नवाचारों  द्वारा बनाए गए लाभों तक पहुंच है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार,प्रमुख उद्योगों ,अकादमिक जगत ,नागरिक समाज और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना है।
भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत “उभरती हुई प्रद्योगिकी प्रभाग” की स्थापना की है ,जो डिजिटल इंडिया और उभरती हुई प्रद्योगिकी  के बारे में मंत्रालय द्वारा की गई पहल को देखकर डिजिटल इंडिया भारत सरकार द्वारा एक पहल है जिसका प्रधान उद्देश्य ज्ञान आधारित वातावरण तैयार करना और केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साथ समन्वित जुड़ाव के माध्यम नागरिकों को सुशासन प्रदान करना है, जिसका मौलिक उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना ,समाज और उभरती प्रद्योगिकी के द्वारा ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलाव कराने का लक्ष्य है। भारत में 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, मशीन लर्निंग और प्राकृतिक भाषा का विकास हो रहा है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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