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दम तोडती वैश्विक हिन्दी
अर्थात व्रज, अवधी, हरयाणवी, हिमाचली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मालवी व मेवाती वगैरह । जब ये सारी क्षेत्रीय भाषाएं व बोलियां अष्टम अनुसूची में आ जाएंगी तो हिन्दी भाषी कितने लोग रह जाएंगे।
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हिंदी और हम
आज आवश्यकता हो गई है कि उन्नीसवीं सदी के पांचवें दशक में इजरायल के मात्र 20 लाख यहूदियों की भांति करोड़ों हिंदी व अन्य भारतीय भाषा भाषी अपनी अपनी मातृभाषाओं में
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अटल जयंती पर ‘अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन’ का आयोजन
अटल जयंती के अवसर पर आयोजित इस 'अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन' में दोहा, कतर से शालिनी वर्मा, मॉरीशस से डी के सिंह और सुनीता आर्यनाइक, श्रीलंका से वजीरा गुणसेना,
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पश्चिम रेलवे क्षेत्रीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक में महाप्रबंधक द्वारा कम्प्यूटरों पर हिंदी में कार्य का आह्वान
इस बैठक में पश्चिम रेलवे के प्रधान कार्यालय, महाराष्ट्र और गुजरात में स्थित 6 मंडलों और 6 कारखानों में पिछली तीन तिमाहियों के दौरान राजभाषा कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा की गई।
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हिन्दी भवन भोपाल द्वारा अखिल भारतीय पुरस्कारों के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित
आपसे अनुरोध है कि कृपया उपर्युक्त सम्मानों तथा पुरस्कारों के लिये अपनी प्रविष्टि/लेखकों के नामों की अनुशंसा के साथ ही कृतियों की दो-दो प्रतियांँ, छाया चित्र के साथ परिचय
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आर्थिक मजबूती से बढ़ेगा हिन्दी का साम्राज्य
लोक सेवकों एवं जनप्रतिनिधियों को अपने कार्य क्षेत्र में ग्राम-नगर में पुस्तकालय खुलवाना चाहिए उन पुस्तकालयों में प्रायोगिक विषयों की किताबें रखनी चाहिए।
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लोकसेवा परीक्षाओँ में भारतीय भाषाओं के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय क्यों?
महत्वपूर्ण मुद्दा हिंदी माध्यम के अभ्यार्थियों के साथ अनुवाद एवं मूल्यांकन में हो रहे भेदभाव का है। उपरोक्त के संदर्भ में अभ्यर्थियों का प्रतिनिधिमंडल आयोग उपसचिव से मिला तथा स्पष्ट कर दिया
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श्यामरुद्र पाठक: हिंदी के लिए लाठियाँ भी खाई और जेल भी गए
हम हिन्दी के असली योद्धा श्यामरुद्र पाठक को जन्मदिन की बधाई देते हैं और उन्हें जनहित के अपने उद्देश्य की सफलता की कामना करते हैं। ?
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हिंदी के टुकड़े-टुकड़े करने की कोशिशें और राष्ट्रहित
ऐसे में यदि हमने अपनी नादानी या लाभ-लोभ के चलते हिंदी की एकजुट मुट्ठी को टुकड़े-टुकड़े किया तो क्या होगा, इसका अनुमान भी सिहरन पैदा करने वाला है। और एक बार यह विघटन
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हिन्दी और उसकी बोलियों के गहरे और मधुर संबंध को तोड़ने की नापाक कोशिशें।
इन लोगों को समझना चाहिए कि भाषा एक विशाल समुदाय की जातीय अस्मिता का प्रतीक होती है और उसका प्रयोग उन छोटे-छोटे समुदायों के परस्पर संपर्क