Tuesday, May 7, 2024
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’गंगा कोई नैचुरल फ्लो नहीं’ – स्वामी सांनद

पत्रकार अरुण तिवारी जी द्वारा स्वामी ज्ञानस्वरूप सांनद जी से की लंबी बातचीत को सार्वजनिक करने से हिचकते रहे, किंतु अब स्वयं बातचीत का धैर्य जवाब दे गया है। अतः अब यह महत्वपूर्ण बातचीत सार्वजनिक कर रहे हैं।

‘गंगापुत्र’ जीडी अग्रवाल नहीं रहे

स्वामी सानंद गंगा से जुड़े तमाम मुद्दों पर सरकार को पहले भी कई बार आगाह कर चुके थे और इसी साल फरवरी में

गंगा जी में खनन से जैव विविधता का संकट गहराया

नीरी की रिर्पोट के अनुसार टिहरी बाँध के नीचे गंगा जल का विशिश्ट गुणधर्म योफाज(गंगत्व) पर बहुत बुरा असर हुआ है। बाँध के ऊपर अबाधित जल प्रवाह में गंगत्व मौजूद है। लेकिन बाधित जल प्रवाह में वह नहीं है। इसलिए गंगा जी की अविरलता बरकरार रखना जरूरी है।

गंगा सत्याग्रहियों की भी सुनो कोई

मातृ सदन (हरिद्वार) के गंगा तपस्वी श्री निगमानंद को अस्पताल में ज़हर देकर मारा गया। पर्यावरण इंजीनियर स्वामी श्री ज्ञानस्वरूप सानंद (सन्यास पूर्व प्रो. गुरुदास अग्रवाल) की मौत भी

बहुत महंगा पड़ेगा गंगा से खिलवाड़

गंगा की अविरलता-निर्मलता के समक्ष हम नित् नई चुनौतियां पेश करने में लगे हैं। अविरलता-निर्मलता के नाम पर खुद को धोखा देने में लगे हैं।

क्या गंगा चुनावी नैया पार लगाने के लिए है?

प्रियंका गांधी को भीम आर्मी के चन्द्रशेखर के संघर्ष से संवेदना है, लेकिन गंगा के लिए प्राणों को दांव पर लगाने वाले साधुओं के मातृ सदन से कोई संवेदना नहीं है !

गंगा शहीदों की मांगों पर संकल्प कब ?

गंगा मैया की जयकारा तो हम न मालूम कितनी बार लगाते हैं। सच है कि गंगा मैया की जय, गंगा नामक एक नदी द्वारा हम पर किए उपकार के प्रति कृतज्ञता बोध का प्रतीक है।

नमामि गंगे या नाकामी गंगे

अब यह एक स्थापित तथ्य है कि यदि गंगाजल में वर्षों रखने के बाद भी खराब न होने का विशेष रासायनिक गुण है, तो इसकी वजह है इसमें पाये जाने वाली एक अनन्य रचना। इस रचना को हम सभी 'बैक्टीरियोफाॅज' के नाम से जानते हैं। बैक्टीरियोफाॅज, हिमालय में जन्मा एक ऐसा विचित्र ढांचा है कि जो न सांस लेता है, न भोजन करता है और न ही अपनी किसी प्रतिकृति का निर्माण करता है। बैक्टीरियोफाॅज, अपने मेजबान में घुसकर क्रिया करता है और उसकी यह नायाब मेजबान है, गंगा की सिल्ट। गंगा मूल की उत्कृष्ट किस्म की सिल्ट में बैक्टीरिया को नाश करने का खास गुण है। गंगा की सिल्ट का यह गुण भी खास है कि इसके कारण, गंगाजल में से काॅपर और क्रोमियम स्त्रावित होकर अलग हो जाते हैं।।

बिहार गाद संकट: समाधान, पहल और चुनौतियां

जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा गंगा विमर्श हेतु 18-19 मई, 2017 को को इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर, लोदी इस्टेट, नई दिल्ली में सेमिनार आयोजित किया गया था।

नमामि गंगे या व्यापारी गंगे

जो काम गत् साढे़ तीस साल में नहीं हुआ, ’नमामि गंगे’ परियोजनायें उसे महज् दो साल में कर दिखायेंगी। दो साल की तैयारी और अगले दो साल में गंगा साफ ! सुनने में यह अविश्वसनीय लग सकता है, किंतु गंगा पुनर्जीवन, नदी विकास व जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती जी का दावा यही है।
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