Sunday, June 30, 2024
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देश के मीडिया की हालत बंदर के हाथ में उस्तरा जैसी हो गई है

टीवी चैनलों की खबरें और टॉक शो यही संदेश देते हैं कि हमारे देश का मीडिया इरेशनल और पगलाए लोगों के हाथों में कैद है। किसी व्यक्ति विशेष या चर्चित व्यक्ति के नाम का अहर्निश प्रसारण पागलपन है। एक जाता है दूसरा आता है।

स्व. किशोरी अमोणकर की यादों में लिपटी सुरमयी श्रध्दांजलि

मुंबई की चौपाल एक ऐसा अद्भुत मंच है जहाँ हर महीने सुधी श्रोता एक नए संस्कार से रससिक्त होते हैं। इस बार चौपाल में महान शास्त्रीय गायिका स्व. किशोरी अमोणकर को उनकी यादों के साथ संगीतमयी श्रध्दांजलि दी गई। स्व. किशोरी ताई की पटु शिष्या सुश्री देवकी पंडित ने ने जब किशोरी जी

दस्यु प्रभावित क्षेत्र में इस अधिकारी के प्रयास से होगा इस बार सबसे ज्यादा मतदान

चित्रकूट/ उत्तर प्रदेश में बुन्देलखण्ड सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है । बुन्देलखण्ड में चित्रकूट और चित्रकूट में मानिकपुर तहसील सबसे पिछडा स्थान है । मानिकपुर तहसील पूरे उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका है ।

ये आकाशवाणी है…..रेडियो की इंद्रधनुषी यादों का कारवां !

मैं समझता हूँ कि मेरी उम्र के उस समय के लोगों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसने रेडियो सीलोन से प्रसारित होने वाला बिनाका गीतमाला और अमीन सायानी की जादुई आवाज न सुनी होगी।

भारती जी ने कहा, ‘सुबह जब चिरैया बोलन लागी’ ऐसा लिखो, और ये नाटक अमर हो गया

मुंबई की भाग-दौड़ की ज़िंदगी में महीने का एक रविवार ऐसा भी होता है जब मुंबई में साहित्य, संस्कृति, संगीत, नाटक, कला और सृजनात्मकता कि तमाम विधाओं से जुड़े लोग एक साथ इकठ्ठे होकर दुनिया के तमाम विषयों पर बात करते हैं, लेकिन वाद-विवाद नहीं होता। चौपाल में हर बार एक नया विषय होता है और उस विषय पर उस क्षेत्र का विशेषज्ञ खुले मन से अपनी बात ऱखकर श्रोताओं को त-तृप्त कर देता है।

शिवराज की नर्मदा यात्रा

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान पीएम से भी एक कदम आगे निकल गए हैं।

काल है संक्रांति का – एक सामयिक और सशक्त काव्य कृति

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व के स्वामी हैं। वे एक सम्माननीय अभियंता, एक सशक्त साहित्यकार, एक विद्वान अर्थशास्त्री, अधिवक्ता और एक प्रशिक्षित पत्रकार हैं।

काल है संक्रांति का पठनीय नवगीत-गीत संग्रह

65 गीत- नवगीतों का गुलदस्ता 'काल है संक्रान्ति का', लेकर आए हैं आचार्य संजीव वर्मा सलिल, जबलपुर से, खासतौर से हिन्दी और बुन्देली प्रेमियों के लिए। नए अंदाज और नए कलेवर में लिखी इन रचनाओं में राजनीतिक, सामाजिक व चारित्रिक प्रदूषण को अत्यन्त सशक्त शैली में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।

शारजाह में काव्य-संध्या

वेब पर उपलब्ध दो हिंदी पत्रिकाओं “अनूभूति” और ”अभिव्यक्ति” की सुरुचि-सम्पन्न संपादिका पूर्णिमा वर्मन के नाम से हिंदी-पाठक और हिंदी लेखक अपरिचित नहीं होंगे।देश-विदेश के अनेक लेखक इनकी पत्रिकाओं से जुड़े हैं।

रेडियो की अहमियत तो आज भी कम नहीं !

ये एक नया दौर है कि मन की बात और रमन के गोठ जैसे कार्यक्रमों ने एक बात फिर रेडियो को आम और ख़ास दोनों तरह के श्रोताओं के बीच ज्यादा लोकप्रिय बना दिया है।
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