Tuesday, May 7, 2024
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स्वामी सानंद - search results

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अलकनंदा के लिए नया चोला, नया नाम, नया प्रभार

चित्रकूट में रहते हुए ही मुझे लगा था कि जैसे रामजी मेरी उंगली पकङकर काम करा रहे हैं। मैं सोचने लगा था कि ईश्वर को जो कराना है, वह करा लेता है।

भीख मांगकर भरपाई और प्रस्तोता का पश्चाताप

आठ सितम्बर को चातुर्मास समाप्त हो गया। मेरा स्वास्थ्य अच्छा था। मैं जगन्नाथपुरी गया, मालूम नहीं क्यों ? अकेला गया;

भीख मांगकर भरपाई और प्रस्तोता का पश्चाताप

वर्ष 2010 मंे हरिद्वार का कुंभ अपेक्षित था। शंकराचार्य जी वगैरह सब सोच रहे थे कि कुंभ में कोई निर्णय हो जायेगा। कई बैठकें हुईं। अखाङा परिषद के अध्यक्ष ज्ञानदास जी ने घोषणा की कि यदि परियोजनायें बंद नहीं हुई, तो शाही स्नान नहीं होगा। लेकिन सरकार ने उन्हे मना लिया और कुंभ मंे शाही स्नान हुआ।

महान इतिहासकार पंडित भगवद्दत्त

उन्हीं दिनों उनका संपर्क स्वामी लक्ष्मणानंद से हुआ, जिन्होंने ऋषि दयानंद से योग-विधि सीखी थी। उनकी ‘ध्यान योग’ नामक पुस्तक भी उन दिनों बहुत प्रसिद्ध थी

गंगाजल

छटपटाने की बात तो थी ही। लालवर्णी रश्मियों के असमय आगमन से छटपटाहट बढ़ गई। राजाओं के राजा…गिरिराजों के महाराज – पर्वतराज हिमालय के आसन पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा। वह अभी भी पांच सेंटिमीटर प्रति वर्ष की गति से उत्तर की ओर गतिमान थे।

‘स्वदेश कुल’ की वैचारिक पत्रकारिता के ‘कुलपति’ हैं राजेंद्र शर्मा

उन्होंने रिश्ते बनाए, नाम कमाया किंतु समझौतों से उन्हें परहेज रहा। कठिन मार्ग ही उन्हें भाता है और वे उस पर ही चलते आ रहे हैं। सच कहने और लिखने की सजा भी भुगतते रहे हैं

सरकार और बाज़ार को अनुशासित करने की चुनौती

प्रधानमंत्री जी ने 'मन की बात' कार्यक्रम ( फरवरी, 2021) में सभ्यता, संस्कृति और आस्था से जोड़कर नदियों की महत्ता बताई। हक़ीक़त यह है कि इन्ही प्रधानमंत्री जी ने गंगा-अविरलता को विज्ञान से ज्यादा, आस्था का विषय मानने वाले स्वर्गीय स्वामी श्री ज्ञानस्वरूप सानंद की एक नहीं सुनी। गंगा अविरलता सुनिश्चित करने हेतु अनकी चार मांगों को मानना तो दूर, संबंधित पत्रों के उत्तर तक नहीं दिए।

सितंबर माह में बलिदानी हुए आर्य समाज के योध्दा

इस दृष्टि को सामने रखते हुए बलिदानी वीरों तथा आर्य समाज के एकनिष्ठ महापुरुषों को स्मरण करते हुए प्रतिमाह इस प्रकार का लेख दिया जाता है| यह इस माला का एक मोती मात्र है|

कुशाभाऊ ठाकरे का नाम हटाना चंदूलाल जी का सम्मान नहीं

इस माटी के प्रति मेरा सहज अनुराग मुझे यह कहने के लिए बाध्य कर रहा है कि आप राज्य के स्वभाव के विपरीत न चलें। प्रतिहिंसा, विवाद और वितंडावाद यहां के स्वभाव का हिस्सा नहीं है।

तीन साल, राजनीति के दल-दल में गंगा बदहाल

कहते हैं कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जी जब बोलते हैं, तो उनकी बोली में संकल्प दिखाई देता है। गंगा को लेकर कहे उनके शब्दों को सामने रखें। स्वयं से सवाल पूछें कि गंगा को लेकर यह बात कितनी सत्य है ? गौर कीजिए कि मोदी जी ने इस संकल्प की पूर्ति के लिए जल मंत्रालय के साथ 'गंगा पुनर्जीवन' शब्द जोड़ा।
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