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गौरैया हमारी परम्पराओं में रची बसी है बेटी की तरह …
होली का तीसरा दिन था साल 2010 का, मैं जयपुर से लौट रहा था, तभी छत्तीसगढ़ से मेरे एक परिचित का फोन आया की एक अखबार में रवीश कुमार ने आपके दुधवा लाइव पर गौरैया से सम्बंधित लेख पर संपादकीय लिखा है,
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गौरैया फिर से लौटेगी!
मेरे पक्षियों पर किए गए शोध व् वन्यजीवन के प्रति प्रेम पर लोगों की यह अपेक्षा एक उत्साह भर गयी नतीजतन मैंने निर्णय लिया की पक्षी सरंक्षण की मुहिम हम अपने जनपद से शुरू करेंगे, और ऐसा ही हुआ लोगों का साथ मिलता गया और इस कारवाँ ने खीरी से निकल कर आसपास के जनपदों से गुजरता हुआ पूरे भारत की फेरी लगा ली।
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पं. वंशीधर मिश्रः भारतीय राजनीति का एक गुमनाम सितारा
आज भारत के चुनावी महापर्व पर मुझे कुछ पुराने समय के बेह्तरीन महापुरषों का स्मरण बरबस होता है जो मैने अपने पिता से दादा से, नाना से और मां से सुना आप सभी को बताता हूं!