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देश की राजधानी में बच्चे आठवीं के बाद हिंदी नहीं पढ़ सकते!
अच्छा हो कि आने वाले सत्र में नई शिक्षा नीति के अनुरूप और देश के दूसरे राज्यों से सबक लेते हुए दसवीं तक हिंदी अनिवार्य की जाए।
अच्छा हो कि आने वाले सत्र में नई शिक्षा नीति के अनुरूप और देश के दूसरे राज्यों से सबक लेते हुए दसवीं तक हिंदी अनिवार्य की जाए।