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देव उठी रिया
इका वासते अभी तो नी जाणो।सोगन वोगन तो कोई देगा नी के___''म्हार सोगन आजो ज सय।तो सोची समजी के जाजो ने पाछा घरे आओ तो बारणे चपला काड़जो।
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मालवा के लोक देवता वीर तेजाजी महाराज
अपनी पत्नी पेमल को अपने घर लाते समय फिर नाग देवता से मिलकर स्वयं को डसने की प्रार्थना करते हैं। हर जगह घाव होने के कारण नागदेवता उनकी जीभ पर डसते है और उनका अंत होने
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हम अपनी ही भाषाओं को मार रहे हैं
इसलिए बहुत कारण बन गये। हम स्वयं वर्षों से प्रयासरत हैं अपनी आंचलिक बोली मालवी बोली को बचाने के लिए और भी बहुत सारे लोग प्रयत्न कर रहे हैं,क्योकि हिंदी का वर्चस्व रखना है तो हमें अपनी अपनी आंचलिक बोली को भी पूर्ण
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किताब है पूरा जीवन
झरौखा यादों का विस्मृत न होने देती भूल भूल्लैया पन्नों पर गलियारें किताब है पूरा जीवन।
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अफ़वाह
नहीं नहीं अम्माजी मुझे कुछ नहीं हुआ है। कुछ लोग बोल रहे थे __ अब काम बंद तो पैसा बंद ।महिने की पगार नहीं मिलेगी।