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स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती
 

  • वैदों की विश्वकल्याण की भावना

    भावार्थ―हे इन्द्र ! परमेश्वर ! हम अपने पथ से कभी विचलित न हों। शान्तिदायक श्रेष्ठ कर्मों से हम कभी च्युत न हों। काम, क्रोध आदि शत्रु हमपर कभी आक्रमण न करें।

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