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अपने ही देश में 70 साल से शरणार्थी की जिंदगी जी रहे हैं कश्मीरी पंडित
बंटवारे के खूनखराबे को चुनौती देकर वे पाकिस्तान के सियालकोट से बेहतर भविष्य की उम्मीद लेकर किसी तरह से जम्मू के गांवों तक पहुंचे थे लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी उन्हें जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थाई निवासी का दर्जा, शिक्षा, रोजगार और वोटिंग के अधिकार पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।