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हिन्दी के योद्धा : बाबू अयोध्या प्रसाद खत्री जिनकी आज पुण्यतिथि है
बिहार में उन दिनों कचहरियों में फारसी के अलावा कैथी लिपि का भी प्रचलन था. हाँ, देशी समाचार पत्र नागरी लिपि में प्रकाशित होते थे. इस तरह बिहार में नागरी और कैथी लिपियों की समानान्तर व्यवस्था थी. यह व्यवस्था व्यावहारिक नहीं थी.
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अधकचरे ज्ञान से हिंदी की हत्या करने वाले सांसद
भोजपुरी, राजस्थानी, ब्रजी आदि हिन्दी के अभिन्न अंग हैं. हम सभी विश्वविद्यालयों के हिन्दी पाठ्यक्रमों में इन सबको पढ़ते- पढ़ाते हैं. हम कबीर, तुलसी, सूर, चंदबरदाई, मीरा आदि को
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रामकथा के प्रथम अन्वेषक फादर कामिल बुल्के
आज डॉ. फादर कामिल बुल्के की 111वीं जन्मतिथि है. इस अवसर पर हम हिन्दी भाषा और राम- कथा पर किए गए उनके असाधारण शोध- कार्य का स्मरण करते हैं और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं.
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हिन्दी के पाणिनि : आचार्य किशोरीदास वाजपेयी
व्याकरणाचार्य के साथ- साथ किशोरीदास वाजपेयी एक सुधी समीक्षक भी थे. ‘बिहारी सतसई और उसके टीकाकार’ लेखमाला के प्रकाशित होने के बाद एक सुधी आलोचक के रूप में भी उनकी पहचान हो गई थी. उन्होंने ‘तरंगिणी’ में
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हिन्दी के योद्धा : राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन
पुरुषोत्तमदास टण्डन के बहु आयामी और प्रतिभाशाली व्यक्तित्व को देखकर उन्हें 'राजर्षि` की उपाधि से विभूषित किया गया. 15 अप्रैल सन् 1948 की संध्यावेला में सरयू तट पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संत देवरहा बाबा ने उन्हें 'राजर्षि` की उपाधि से अलंकृत किया.
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प्रेमचंद का भाषा चिन्तन : उनके सुझावों पर कभी गौर ही नहीं किया गया
प्रेमचंद के सुझावों पर अमल न करके हमने देश की भाषा नीति को लेकर जो मार्ग चुना उसके घातक परिणाम आज हमारे सामने हैं.
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फ्रॉक वाली हिन्दी मास्टरनी : दुर्गाबाई देशमुख
दिल्ली में पिंक लाइन के साउथ कैम्पस मेट्रों स्टेशन का नाम दुर्गाबाई देशमुख रखा गया है। उसके समीप स्थित श्री वेंकटेश्वर कॉलेज की स्थापना में भी दुर्गाबाई की महत्वपूर्ण भूमिका है। 71 साल की उम्र में एक लम्बी बीमारी के बाद 9
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मातृभाषा में शिक्षा की वकालत – सबसे विश्वसनीय आवाज़ : प्रो. जोगा सिंह विर्क
जोगा सिंह के अनुसार किसी भी भाषा का जीवन इस बात पर निर्भर है कि उसका प्रयोग मातृभाषा के रूप में तथा दूसरे कार्य-क्षेत्रों में कितना हो रहा है. आज के समय में सबसे महत्वपूर्ण भाषा कार्य-क्षेत्र शिक्षा का माध्यम है.