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तनवीर जाफ़री
 

  • इमरान साहब,बेहतर होगा आप हमारी छोड़ अपने देशवासियों की चिंता करें

    इमरान साहब,बेहतर होगा आप हमारी छोड़ अपने देशवासियों की चिंता करें

    दरअसल, दोनों देश कभी एक ही थे इसलिये दोनों ही देशों की तर्ज़-ए-सियासत भी एक जैसी ही है। दोनों ही देशों की सरकारों को जब जनता का ध्यान जनसरोकार से जुड़े मुद्दों से भटकाना होता है उस समय दोनों ही देश एक दूसरे पर 'अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव व ज़ुल्म' का मुद्दा उछालने लगते हैं।

  • कोरोना संबंधी ‘ज्ञान वर्षा ‘ से भ्रमित होता आम आदमी

    कोरोना संबंधी ‘ज्ञान वर्षा ‘ से भ्रमित होता आम आदमी

    अनेक लोग लॉक डाउन में घर बैठे बैठे मोटे भी होते जा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर भी आम आदमी इसलिए भी भ्रमित है कि एक तो घनी आबादी वाले देशों में इस व्यवस्था पर अमल कर पाना लगभग संभव भी नहीं नहीं दूसरे

  • राहुल गांधी का अमेठी से ‘बेआबरू’ होना…

    राहुल गांधी का अमेठी से ‘बेआबरू’ होना…

    उत्तर प्रदेश का अमेठी लोकसभा क्षेत्र (37) गत 40 वर्षों से कांग्रेस पार्टी का अभेद दुर्ग समझा जाता रहा है।

  • अमेरिका: वैश्विक ‘थानेदारी’ की बढ़ती सनक

    अमेरिका: वैश्विक ‘थानेदारी’ की बढ़ती सनक

    वैसे भी अमेरिका व ईरान के मध्य पैदा हुई तल्$खी का इतिहास लगभग 40 वर्ष पुराना है। 1979 से पूर्व शाह रज़ा पहलवी जो ईरान के बादशाह थे जो पश्चिमी स यता के पैरोकार होने के साथ-साथ अमेरिका की कठपुतली बनकर रहा करते थे।

  • हादसे-मुआवज़े-आरोप-प्रत्यारोप और बेबस आम आदमी

    हादसे-मुआवज़े-आरोप-प्रत्यारोप और बेबस आम आदमी

    उस आयोजन से जुड़े लोगों को ही नहीं बल्कि पूरे देश को इस समाचार से बहुत सदमा पहुंचा। खुशियों व जश्र के माहौल के बीच इस प्रकार की कोई भी घटना अथवा दुर्घटना नि:संदेह रंग में भंग घोलने का ही काम करती है।

  • जिन पे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे

    एक बार फिर लगभग उसी प्रकार की आवाज़ मुज़फ्फरपुर स्थित बालिका गृह में सुनियोजित ढंग से लंबे समय से चलने वाले

  • “इफ़्तारनामा” : ज़रूरत, धर्म के मर्म को समझने की

    “इफ़्तारनामा” : ज़रूरत, धर्म के मर्म को समझने की

    ‘इफ़्तार’ उस प्रक्रिया का नाम है जो मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा माह-ए-रमज़ान में रखे जाने वाले रोज़े के समापन के समय अमल में लाई जाती है। सीधे शब्दों में रोज़ा अथवा व्रत खोलने को इफ़्तार कहा जाता है।

  • यरूशलम विवाद : शिया-सुन्नी संघर्ष की अमेरिकी साजि़श

    यरूशलम विवाद : शिया-सुन्नी संघर्ष की अमेरिकी साजि़श

    ‘बांटो और राज करो’ की जिस नीति पर चलते हुए ब्रिटिश राज ने लगभग पूरे विश्व में अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया था ठीक उसी नीति का अनुसरण आज अमेरिका द्वारा किया जा रहा है। परंतु बड़े आश्चर्य की बात है कि दुनिया का हर देश तथा वहां के बुद्धिमान समझे जाने वाले शासक भी अमेरिका की इस चाल से वािकफ होने के बावजूद किसी न किसी तरह उसके चंगुल में फंस ही जाते हैं। यह और बात है

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