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वीणा मणि
 

  • सब-कुछ है मेरे देश में, गरीब को इलाज नहीं तो क्या

    सब-कुछ है मेरे देश में, गरीब को इलाज नहीं तो क्या

    बागपत की सुनीता कुमारी (बदला हुआ नाम) के लिए राजधानी का जीबी पंत अस्पताल एक जानी-पहचानी जगह बन चुका है। अपनी बहन के हृदय रोग का इलाज कराने के लिए वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश स्थित अपने घर से अस्पताल पहुंचने के लिए महीने में दो बार करीब 50 किलोमीटर की यात्रा करती है। पिछले तीन सालों से यह उनका नियमित कार्य रहा है। अपने घर के करीब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण सेवा पाने के लिए कई महीनों के प्रयास में असफल रहने के बाद सुनीता ने दिल्ली के इस अस्पताल के डॉक्टरों से परामर्श करने का फैसला किया था। डॉक्टरों ने सुनीता को बताया कि उसे दिल्ली के अपने इन दौरों को अनिश्चितकाल तक जारी रखना होगा। सुनीता की तरह छोटे शहरों और गांवों के सैैकड़ों-हजारों मरीज उचित सुविधाएं तलाशने के लिए शहरों की यात्रा करते हैं।

  • अस्पतालों की लूट जारी है, कब जागेगी सरकार

    अस्पतालों की लूट जारी है, कब जागेगी सरकार

    राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने स्टेंट की अधिकतम कीमत तो तय कर दी, लेकिन इससे मरीजों की दिक्कतें पूरी तरह दूर नहीं हुई हैं। स्टेंट तो उन्हें सस्ता मिल रहा है, लेकिन दिल की बीमारी के इलाज में काम आने वाले कई दूसरे उपकरण अब भी बहुत ज्यादा महंगे हैं।

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