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भारत में सबसे ताकतवर शक्ति कौन सी है?
भारत की इतनी बड़ी लोकबिरादरी अपनी अनोखी जीवन यात्रा से बिना किसी को परेशान किए अनगिनत उत्पादक कार्यों में बिना किसी अपेक्षा के अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल करती हैं। भारत के सत्तारूढ़ समूह हर काम इस अपेक्षा से करते हैं कि उनकी सत्ता और संगठन मजबूत हो
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आनन्द का सनातन प्रवाह
हिन्दूदर्शन या सनातन विचार ने विचार के चैतन्य स्वरूप या तारक शक्ति के विराट स्वरूप को समझाऔर सनातन सभ्यता के रूप में निरन्तर विस्तारित किया।जीवन और जीव की जड़ता या मारक शक्ति को स्वीकार नहीं किया।
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सरकारी हिन्दू, असरकारी हिन्दू
सनातन समय से दुनिया भर में हिन्दू दर्शन,जिज्ञासा, जीवनी शक्ति और अध्यात्म की तलाश का विचार या मानवीय जीवनपद्धति ही रहा है।आज भी समूची दुनिया में उसी रूप में कायम हैं।साथ ही सनातन समय तक हिन्दू दर्शन इसी स्वरूप में रहेगा भी। हिन्दू शब्द से एक ऐसे दर्शन का बोध स्वत:ही होता आया है जिसे […]
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जीवन कहने से नहीं करने से चलता है
मानवीय मूल्यों और ऊर्जा पर आधारित मानव समाज जीवन जीने का सनातन क्रम है जो मनुष्य को सतत् सक्रिय रहते हुए जीने की सतत् प्रेरणादायक ऊर्जा निरन्तर प्रदान करता है। आज का मनुष्य मन और तन की ऊर्जा के बजाय धन और यंत्र के तंत्र में उलझता जा रहा है।
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असहमति को कुचलना लोकतंत्र नहीं हैं!
लोकतंत्र में बहुमत और अल्पमत दोनों को यह अधिकार हैं की वे निर्भय होकर अपनी अपनी बात खुलकर रखें एक दूसरे को सुनें समझें तब निर्णय करे।
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हमारी पसंद-नापसंद और गांधी के सनातन जीवन मूल्य
गांधी ने सत्य और अहिंसा को निजी और सार्वजनिक जीवन में बड़ी सादगी, सरलता और सहजता से जी कर सबको बताया कि सत्य ही ईश्वर है।
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शांति अशांति , विचार और विचारधारा की बुनियाद
शांति अशांति, विचार और विचारधारा ये सब मनुष्य के मन में सनातन काल से चलने वाली हलचलें है।
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इन्दौर शहर आजादी के बादः शहर फैलता गया रिश्ते सिकुड़ते गए
करोना महामारी ने भी हमें सबक सिखाने का काम किया है जितना अराजक शहरी विस्तार उतना जनजीवन अस्त-व्यस्त और असुरक्षित निजी और सार्वजनिक जीवन,न धन न सम्पत्ति हमारा सुरक्षा कवच बन पाये।
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आन्दोलन जीवन का प्रवाह है
आन्दोलन एक तरह से गतिशील जीवन की जीवनी शक्ति है या जीवन की सनातन विरासत।जीवन ही आन्दोलन है या आन्दोलन ही जीवन है।अवाम, जनता या लोग कभी आन्दोलन से नहीं
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लोक की हलचल तंत्र का असमंजस
हम सब सोचें समझें तथा लोकतंत्र में सामूहिक उत्तरदायित्व ,सतत सक्रियता के साथ नयी निरापद व्यवस्था को विकसित करें यही कोरोना काल ने हम सबको सबक दिया है।जिसे हम सबके अलावा